जाखन चौक पर आयोजित कार्यक्रम में सैकड़ों मज़दूरों ने आवाज़ उठाया कि प्रशासन और सरकार होटल, रेस्टोरेंट, सरकारी विभागों और अन्य बड़े अतिक्रमणकारियों को बचाने के लिए मज़दूरों को बेघर करने की कोशिश कर रही है। कोर्ट के आदेशों का अपमान करते हुए ऐसे तत्वों पर कोई कार्यवाही नही हो रही है,जबकि सबके सामने नदियों में मलबा डाला गया है और नदी पर इन रसूखदारों ने बड़े बड़े निर्माण भी बनाये हैं। दूसरी तरफ उन्ही आदेशों के बहाने मनमानी से बिंदाल नदी किनारे बसे मज़दूरों को बेदखल करने का प्रयास किया जा रहा है। जाखन क्षेत्र में ही जिन घरों पर निशाने लगाए गए हैं, उनमें से कई घर स्पष्ट रूप से 2016 से पहले के हैं।
2024 में भी ऐसी ही एक प्रक्रिया के बाद प्रशासन ने दावा किया था कि रिस्पना नदी पर बस्तियों में 525 “अवैध घर” हैं। लगातार आवाज़ उठाने के बाद उनको मानना पड़ा कि इनमें से 400 से ज्यादा वैध ही हैं। सभा में भागीदारी करते हुए वक्ताओं ने सरकार को याद भी दिलाई कि 17 जनवरी को मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया था कि एक भी मज़दूर बस्ती नहीं टूटेगी। लेकिन उस बयान के बाद दो सप्ताह पूरा होने से पहले ही सरकार और प्रशासन पहले एलिवेटेड रोड के नाम पर और अभी कोर्ट के आदेशों के बहाने लोगों को बेघर करने की कोशिश शुरू कर दी थी। इसके अतिरिक्त मज़दूरों के लिए बनाये गए कल्याणकारी योजनाओं में भी लगातार मनमानी, नाकामी और भ्रष्टाचार दिख रहा है। पिछले छह महीनों से निर्माण मज़दूर योजना में पंजीकरण ही नहीं हो रहा है। सभा को निपटाते समय लोगों ने कहा कि इन मुद्दों पर आगे भी आवाज़ उठाते रहेंगे।
जन हस्तक्षेप के बैनर तले आयोजित जन सभा में चेतना आंदोलन से शंकर गोपाल, सुवा लाल, उमेश, सुनीता देवी के साथ गजराज, रमेश कुमार, इरफ़ान इत्यादि शामिल रहे।