आग मनुष्य का घनिष्ठतम मित्र परन्तु निकटतम शत्रु है। अग्निकांड में जान एवं माल की भारी हानि होती है। अनेक जगह अग्निशमन यंत्र लगे होने के बावजूद लोग इन्हें चलाना नहीं जानते जिसके कारण आग बुझाने में बिल्कुल असमर्थ रहते हैं। अतः अग्निशमन का सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रत्येक नागरिक के लिए अनिवार्य होना चाहिए। उक्त विचार इंडियन रेडक्रास सोसायटी के आपदा प्रबंधन प्रशिक्षक अनिल वर्मा ने सुभाष नगर के दून एक्सप्रेस बिज़नेस पार्क स्थित आर एम एस आई प्राइवेट लिमिटेड संस्थान में यूथ रेडक्रास द्वारा आयोजित शिविर में अधिकारियों एवं कर्मचारियों को अग्निशमन, इमरजेंसी मेथड्स ऑफ रेस्क्यू , प्राथमिक चिकित्सा (कार्डियो पल्मोनरी रीससिटेशन) का प्रशिक्षण एवं नशामुक्ति, रक्तदान जागरूकता एवं थैलीसीमिया मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत व्यक्त किये।
उन्होंने कहा कि घर हो या दुकान अथवा संस्थान आग जब तक नियंत्रण में रहती है यह रचनात्मक होती है, परन्तु नियंत्रण से बाहर होते ही विकराल होकर विध्वंसात्मक बन जाती है। प्रतिदिन विश्व में हजारों व्यक्ति इसकी चपेट में आकर अपनी जान और सम्पत्ति गंवा देते हैं। अतः अग्निशमन का प्रशिक्षण लेना प्रत्येक नागरिक के लिए आवश्यक होना चाहिए। ताकि वह वक्त पड़ने पर अपनी व दूसरों के जान-माल की सुरक्षा कर सके।
इस अवसर पर आरएमएसआई के अधिकारियों कनिका रावत, योगिता राणा, उपासना सागर तथा विपिन सिंह ने 155 बार रक्तदान कर चुके रक्तदाता शिरोमणि अनिल वर्मा को विशेष रूप से पुरस्कृत करके सम्मानित किया।इससे पूर्व आरएमएसआई संस्थान के प्रशासनिक अधिकारी जीत सिंह रावत ने कहा कि आग अथवा आग के विभिन्न स्वरूपों के हम लगातार संपर्क में रहते हैं। जिसके कारण अज्ञानता या लापरवाही से कभी भी एक छोटी सी चिंगारी भी भीषण आग का रूप ले सकती है। आग को नियंत्रित करने के उपकरणों को चलाने की जानकारी होना बेहद जरूरी है ताकि हम अपनी व दूसरों की जान बचा सकें।
मुख्य प्रशिक्षक अनिल वर्मा ने प्रशिक्षणार्थियों को युद्ध के दौरान शत्रु के अग्निबमों अथवा शांति काल में घरों , जंगलों व संस्थानों में लगी आग के प्रकार ,आग के बढ़ने और बुझाने के सिद्धांतों के साथ ही आग बुझाने में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रमाणित सोडा एसिड,फोम टाईप, कार्बन डाई-ऑक्साइड, डीसीपी, सीटीसी, एबीसी आदि रासायनिक अग्निशमन यंत्रों का सैद्धांतिक व प्रायोगिक प्रशिक्षण प्रदान किया।
उन्होंने शरीर के आग , अम्ल – क्षार अथवा बिजली से जलने या झुलसने के फर्स्ट, सेकेंड एंड थर्ड डिग्री बर्न के साथ ही जलने के “रूल आफ नाईन” एवं उपचार की महत्वपूर्ण जानकारी दी। अग्निकांड में घिरे लोगों को तथा बहुमंजिली इमारतों के भूकंप आदि से क्षतिग्रस्त बिल्डिंगों के मलबे से घायलों को सुरक्षित निकालकर प्राथमिक चिकित्सा हेतु ले जाने के “इमरजेंसी मेथड्स ऑफ रेस्क्यू” के फ्री हैंड तथा रोप रेस्क्यू मेथड्स का प्रायोगिक प्रशिक्षण प्रदान किया।
फर्स्ट एड प्रशिक्षण के तहत् अग्निकांड के दौरान धुंए में बेहोश होने, पानी में डूबने, सदमा अथवा हार्ट अटैक पड़ने की स्थिति में मृतप्राय व्यक्ति को सीपीआर (कार्डियो पल्मोनरी रीससिटेशन) के माध्यम से पुनर्जीवित करने का विधिवत् प्रशिक्षण दिया। विशेष जागरूकता अभियान के तहत् रक्तदाता शिरोमणि अनिल वर्मा ने युवाओं से नशा करने के दुष्परिणामों की विस्तृत चर्चा करते हुए नशामुक्त रहकर स्वस्थ एवं सुखी जीवनशैली अपनाने का अनुरोध किया।
रक्तदान जीवनदान को समाजसेवा का सबसे सरल माध्यम बताते हुए रक्तदान करने से रक्तदान करने वाले व्यक्ति को होने वाले लाभों की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने रक्त रोग थैलीसीमिया मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत युवाओं से विवाह पूर्व आपस में रक्त कुंडली मिलान करने पर विशेष अनुरोध किया। प्रशिक्षण के उपरांत प्रशासनिक अधिकारी जीत सिंह रावत के निर्देशन, प्रबंधक मुकेश गुसाईं व कनिका रावत के संयोजन तथा एक्जीक्यूटिव योगिता राणा के संचालन में अंकित गुरूंग, विपिन सिंह, कु० उपासना सागर, कुसुम तिवारी, रश्मि रावत, तनुज डिमरी,अजय सिंह, सुनील राज, किशन , दामिनी बोरा , सोनम डोभाल तथा मयंक रावत आदि ने कुशल प्रदर्शन किया