वातायन नाट्य संस्था की शुरुआत 14 अक्टूबर 1978 को एक निश्चित उद्देश्य को लेकर की गई थी जिसमें साहित्य क ला,संगीत ,समाज और नाटक विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय प्रतिभाशाली युवक – युवतियों को एक सक्रिय मंच प्रदान करते हुए नाटक के माध्यम से कलाकार और समाज के बीच एक सार्थक संवाद शुरू करते हुए उनके पारस्परिक रिश्तों को एक सामाजिक आधार देना शामिल था । वातायन देहरादून के समर्पित रंग कर्मियों की प्रतिबद्ध नाट्य संस्था है । वातायन संस्था ने 46 वर्षों में 500 से अधिक नाट्य प्रदर्शन किए हैं । संस्था ने हिंदी के साथ-साथ अंग्रेजी ,बंगाली तथा गढ़वाली भाषा के नाटकों का मंचन भी किया है ।
भारत के विभिन्न प्रदेशों में नाटकों का मंचन करते हुए संस्था भारत की प्रमुख नाट्य संस्थाओं में अपना स्थान बनाने में पूर्णतया सफल रही है । संस्था ने मंच के साथ-साथ बहुत से नाटकों के विभिन्न स्थलों पर नुक्कड़ प्रदर्शन भी किए हैं। वातायन के रंग करमी हिमानी शिवपुरी, चंद्र मोहन ,श्रीश डोभाल, अरविंद पांडे तथा श्वेता ने भारतेंदु नाटक केंद्र लखनऊ, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय दिल्ली तथा पुणे फिल्म वह टीवी संस्थान में प्रशिक्षण प्राप्त करने के उपरांत फिल्म जगत तथा दूरदर्शन में अपनी पहचान बनाई है। संस्था ने पद्मश्री बंसी कौल ,उर्मिल थपलियाल, हफीज खान ,दिनेश खन्ना तथा राजेंद्र सिंह के निर्देशन में रंग शिविरों का आयोजन किया इससे उत्तराखंड के रंग कर्मी लाभवांवित हुए ।
वातायन संस्थान ने भारत के प्रतिशिठित नाट्य समारोह में भाग लिया तथा दर्शकों की भूरी भूरी प्रशंसा प्राप्त की। भारत की बहुत कम नाट्य संस्थाएं अपने जीवन के 50 साल पूरे कर पाती हैं वातायन इस ओर अग्रेषित है । स्थापना दिवस के अवसर पर आज 14 अक्टूबर को अखिल गढ़वाल सभा में रंग कर्मियों की एक गोष्ठी का आयोजन किया गया गोष्ठी में रंग कर्मियों ने रंगमंच के विस्तार हेतु गहन चर्चा की। इस अवसर पर वातायन के संस्था गत साथियों अशोक चक्र वरती, अरुण विक्रम राणा, रजनी अस्थाना,अजय भटनागर, मनोज शर्मा, चन्द्र मोहन ,सुरेन्द्र भंडारी को स्मरण किया।संस्था शीघ्र ही सुषमा बहुगुणा बर्थवाल के निर्देशन में नाटक बर्फ का मंचन करेगी। गोष्ठी में अध्यक्ष रोशन धस्माना, सलमान जैदी, सचिव गजेन्द्र वर्मा, मंजुल मयंक मिश्रा,पदम सिंह राजपूत, संतोष कुमार गैरोला, रमेश नौडियाल, उदय शंकर भट्ट, हरीश भट्ट, उल्लास भटनागर, अमरीश सिंह, सुषमा बर्थवाल,सोनिया गैरोला, विनीता ऋतुंजया, भारती आनंद, वीरेन्द्र सिंह असवाल,केतन प्रकाश आदि उपस्थित थे।