मालिकाना हक की मांग उठाई तथा एनजीटी के फैसले पर रोक लगाने की मांग जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन दिया

आज एनजीटी तथा एलिवेटेड रोड़ से प्रभावित सैकड़ों बस्तीवासियों द्वारा लालपुल पटेलनगर में बस्ती बचाओ आन्दोलन के वैनर तले एकत्रित होकर सरकार एवं एनजीटी के फैसले के खिलाफ जमकर नारेबाजी की तथा इस अवसर पर वक्ताओं ने मुख्यमंत्री को बस्तियों को मालिकाना हक की याद दिलायी तथा एलिवेटेड जैसे गैरजरूरी परियोजना को निरस्त करने की मांग की तथा कहा इस योजना का धन देहरादून के पर्यावरण की रक्षा तथा उसके चहुमुखी विकास के लिऐ खर्च करे ।वक्ताओ ने कहा है कि सरकार एलिवेटेड रोड़ के नाम पर कोरपेरेट हितों की रक्षा कर रही ,इस योजना से पर्यावरण को भारी क्षति पहुंचाने वाली है तथा एनजीटी का बस्तियों को हटाने का फैसला गरीब विरोधी है तथा बड़े लोगों तथा सरकारी कब्जों पर एनजीटी मौन है ।ज्ञातव्य है कि 28 फरवरी 025 को संयुक्त प्रतिनिधि मण्डल की मांग पर मुख्यसचिव उत्तराखंड द्वारा जिलाधिकारी देहरादून को आवश्यक कार्यवाही के निर्देश दिये ।

सभा के बाद जलूस न्यू पटेलनगर,चद्रशेखर आजाद नगर कालोनी तथा सत्तोवाली घाटी में समाप्त हुआ ।वक्ताओं ने कहा है कि आन्दोलन निर्णायक मुकाम तक पहुंचाया जायेगा l,ज्ञापन उपजिलाधिकारी सदर श्री हरिगिरी को दिया गया ।

इस अवसर अनन्त आकाश, राजेन्द्र पुरोहित, मौहम्मद अल्ताफ, इन्दु नौडियाल ,लेखराज ,नुरैशा अन्सारी ,अदनान, बिन्दा मिश्रा , किरण ,सोनू ,हरीश‌,शवनम,इन्दु,माला ,तमरेज ,विप्लव ,साबरा ,सालेहा ,ममता,हसीन,अंसारी,, हामिद अंसारी,, साजिद अंसारी,,अल्ताफ अहमद,,फिरदौस, यूसुफ, सैफी,शान्ता,सादिया, मीनादेवी,इन्तजार अली,हसीन,युसुफ खान,फातिमा, नासिर,रूकसाना ,अंचला ,लतेश, सुनील,साजिद,सादिया,राजुल,नुर,राज,फैजान,इन्तजार आदि बड़ी संख्या में प्रभावित शामिल थे ।
ज्ञापन निम्नलिखित है :-

सेवा में,
माननीय मुख्यमंत्री
उत्तराखंड सरकार
द्वारा :- जिलाधिकारी महोदय देहरादून ।
मान्यवर,
हम देहरादून की कच्ची एवं सरकार द्वारा सूचीबद्ध बस्तियों में रहने वाले लोग हैं।
मान्यवर, 17 जनवरी 025 को आपने कहा था कि देहरादून की कोई भी बस्ती नहीं उजड़ेगी।  इस आश्वासन पर लोग संतुष्ट हो गए थे कि अब सरकार अपने वायदों के अनुसार हमें मालिकाना हक़ या पुनर्वास की व्यवस्था करेगी।  लेकिन फिर सरकार ने दो कदम उठाए:-
(1) दिसम्बर 024 महीने में पर्यावरण कोर्ट (NGT) ने आदेश दिया था कि वह सरकार का तीन साल वाला कानून को हम नहीं मानते ही नहीं और इसलिए रिस्पना नदी किनारे बसी सारी बस्तियों को हटाना होगा चाहे वह कितनी भी पुरानी हो।  हमें लगा कि आपके बयानों के अनुसार सरकार अपने कानून को बचाने के लिए गंभीर पैरवी करेगी लेकिन पता चला है कि 10 फरवरी 025 को उच्चतम न्यायालय में सरकार ने इतना ही कहा कि आदेश में कुछ तकनिकी कमियां हैं और इसलिए उसको कुछ सप्ताह के लिए टाला जाये और सरकार ने बस्तियों के लिऐ बनाये अपने कानून के बारे में कोर्ट मे कुछ नहीं कहा।
(2) स्थानीय निकाय चुनाव सम्पन्न होने के कुछ ही सप्ताह बाद आपके द्वारा अख़बार में यह भी खबर आई कि “एलिवेटेड रोड” परियोजना पर काम को जल्दी से जल्दी से शुरू करने के किया जाये ।
मान्यवर ,जनता के बीच में यह समझ है कि इस परियोजना के लिए नदी किनारे बसे कई लोगों को उजड़ना होगा और जिसके लिये आजकल रिस्पना-बिन्दाल नदियों के इर्दगिर्द बस्तियों आजकल आपके एनजीटी एवं एलिवेटेड रोड़ डबल सर्वे चलाकर देहरादून की बहुत बड़ी आबादी को जिसका देहरादून निर्माण में बहुत बड़ा योगदान है,इनको हटानी कि तैयारी चल रही है ।  आज तक सरकार ऐसे लोगों के पुनर्वास और मुआवज़ा कै लिऐ कुछ नहीं कहा है। इसके अलावा इस परियोजना से शहर का पर्यावरण और खूबसूरती पर गंभीर नुकसान होगा।
मान्यवर , सरकार कै चिरपरिचित वायदे के बावजूद भी आज तक एक भी बस्ती को न तो मालिकाना हक़ मिला है और न ही पुनर्वास की कोई व्यवस्था बनी है।
मान्यवर, इन मुद्दों की वजह से जनता के बीच में सरकार की मंशा को लेकर गम्भीर आशंकाऐं फ़ैल रही हैं  इसी प्रकार एनजीटी के आदेश एवं एलिवेटेड रोड़ परियोजना में सिधैतौर पर सुप्रीम कोर्ट उस दिशा निर्देशों का उल्लघंन हो रहा जिसमें कोर्ट ने कहा है कि हटाने से पहले पुर्नवास एवं मुआवजे की व्यवस्था कि जाये ।हाल हि में आपको सरकार द्वारा आढ़त बाजार शिफ्टिंग में मुआवजे कै साथ दुकानों का प्रबंध किया गया ,ऐसी अनेकानेक परियोजनाऐं हैं जिसमें ऐ प्रावधान हैं किन्तु गरीब बस्तियों के मामले में हर समय सभी स्तरों पर दोहरा मापदण्ड रहता तथा कहा जाता रहा है कि यै लोग बाहरी हैं अतिक्रमणकारि हैं,इन नदियों के किनारे बड़ी बड़ी कोठियां ,बहुमंजिली इमारतें, सरकारी आवासीय कालोनियां ,विधानसभा ,शिक्षा निदेशालय सहित प्रभावशाली लोगों की बहुमंजिली बिल्डिंग हैं,उनपर न एजिटि बोलता न सरकार ।

अतः हम आपसे निवेदन करना चाह रहे हैं कि:-
(अ)सरकार अपने ही वायदे के अनुसार बस्ती में रहने वाले गरीब परिवारों को मालिकाना हक़ दे और किसी को बेघर न करे।
(ब) सरकार कोर्ट के अंदर भी ऐसी ही राय ले और उचित कदम उठाकर NGT के गैर कानूनी आदेश को रद्द करवा दे।
(स) बेज़रूरत और विनाशकारी प्रस्तावित “एलिवेटेड रोड” परियोजना को रद्द किया जाये और धन का उपयोग देहरादून कै पर्यावरण संरक्षण एवं चहुमुखी विकास में लगाये ।

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