राज्य विधानसभा में बुधवार को समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि भगीरथ की भूमि-देवभूमि से पूरे देश में यूसीसी की गंगा बहेगी। ऐसा करने का सौभाग्य उत्तराखंड को मिला है। इतिहास लिखने और देश को दिशा देने का मौका मिलने से हर एक उत्तराखंडी खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा है।
सिद्धि तक पहुंचा समान नागरिक संहिता का संकल्प
सदन में मुख्यमंत्री ने कहा कि यूसीसी का ये कानून न सिर्फ उत्तराखंड, बल्कि देश के लिए भी मील का पत्थर साबित होगा। गंगा की तरह समान नियमों की गंगा भी उत्तराखंड से निकलेगी। विषमताओं को दूर करने का ऐतिहासिक काम उत्तराखंड से शुरू होगा। यूसीसी में सभी लोगों को बराबर मानते हुए समान अधिकार देने की बात कही गई है। यूसीसी किसी धर्म विशेष के खिलाफ नहीं है, बल्कि हर धर्म के लोगों, महिलाओं, बेटियों को उनके अधिकार सुनिश्चित करने के लिए है। यूसीसी का संकल्प सिद्धि तक पहुंचा है। उन्होंने विपक्ष पर 70 साल राष्ट्रनीति की बजाय सिर्फ तुष्टिकरण तक सीमित रहने का आरोप लगाया। कांग्रेस ने बाबा साहेब डॉ. बीआर आंबेडकर के यूसीसी के सपने को तुष्टिकरण के लिए पूरा नहीं किया गया। सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न मामलों में दिए गए आदेश तक नहीं माने गए। अब भाजपा यूसीसी से संतुष्टीकरण का काम करेगी।
प्रधानमंत्री के अभियान में उत्तराखंड की ‘आहुति’
सीएम ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी जो राष्ट्र निर्माण, भारत को विश्व गुरु बनाने को लेकर जो अभियान छेड़े हुए हैं, यूसीसी उसी कड़ी में उत्तराखंड की ओर से एक छोटी से आहुति है। बेटी बचाओ, लखपति दीदी जैसे कई अभियान देश में चल रहे हैं। ऐसे में उत्तराखंड कैसे पीछे रह सकता था। इससे पीएम मोदी के नारी शक्ति वंदन का भी संकल्प पूरा होता है।
बेटियों को सूटकेस में नहीं डाला जा सकेगा
सीएम ने कहा कि यूसीसी के जरिए बेटियों के अधिकारों को सुरक्षित किया जा रहा है। यूसीसी लागू होने से बेटियों के साथ होने वाले भेदभाव, अन्याय और कुरीतियों को दूर किया जा सकेगा। बेटियों पर अत्याचार और उनसे भेदभाव रुकेंगे। आधी आबादी को बराबर का अधिकार और न्याय मिलेगा। बेटियों के टुकड़े कर सूटकेस में डालने जैसी घटनाएं नहीं होंगी।
मुख्यमंत्री ने सदन में बताया की उनकी मां ने उनसे पूछा की इस बार सत्र जल्दी क्यों हो रहा है। इस पर मां को बताया की इस बार यूसीसी के लिए सत्र बुलाया है। उन्होंने मां को यूसीसी से महिलाओं को मिलने वाले अधिकारों, समानता की जानकारी दी तो मां बोलीं कि इस कानून को तो सबसे पहले लाना चाहिए था।