कांग्रेस विधायकों ने कहा कि यूसीसी में शादी के बाद बेटियों को पिता की संपत्ति में बराबरी के हक से ससुराल में बेटियों का उत्पीड़न बढ़ सकता है। विधायकों ने इस पर चिंता जताते हुए उचित प्रावधान किए जाने की जरूरत बताई। कांग्रेस विधायक तिलक राज बेहड ने कहा कि शादी के दौरान और उसके बाद भी मां, बाप अपनी सामर्थ्य के अनुसार बेटी के लिए सभी कुछ करते हैं। इसके बावजूद दहेज उत्पीड़न के मामले सामने आते हैं। यूसीसी में शादी के बाद बेटी को पिता की संपत्ति में बराबरी के हक की बात कही गई है। उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि इससे ससुराली बेटी पर शादी के बाद मायके की संपत्ति के लिए दबाव डाल सकते हैं। इससे बेटियों का उत्पीड़न बढ़ सकता है। यह कौन सुनिश्चित करेगा कि पिता की संपत्ति के लिए शादी के बाद बेटियों का उत्पीड़न न हो।
शादी की उम्र बढ़ाए जाने की जरूरत
कांग्रेस विधायक विक्रम सिंह नेगी ने कहा कि लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने की जरूरत है। लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल बहुत पहले तय हुई थी। अब इसमें बदलाव की जरूरत है। 18 साल की गर्भवती के मरने के चांस काफी अधिक होते हैं। इन सभी समस्याओं को देखते हुए इसमें बदलाव की जरूरत थी जिसका प्रावधान विधेयक में किया जाना चाहिए था।
सास कहेगी मायके से मांग अपना हक
बसपा विधायक मोहम्मद शहजाद ने कहा कि बेटियों को पिता की संपत्ति में बराबरी के हक से विवाद ही बढे़गे। शादी के 15 दिन बाद ही सास कहेगी कि जा मायके से मांग अपना हक। शादी के बाद बेटी को पिता की संपत्ति पर अधिकार दिलाने की बजाए पति या ससुराल की संपत्ति पर अधिकार दिलाने के प्रयास किए जाने चाहिए।
कांग्रेस विधायक रवि बहादुर ने कहा कि यूसीसी लागू होने के बाद संपत्ति संबंधी विवाद बढ़ जाएंगे। यदि किसी की पत्नी की मौत हो जाती है। तो सास ससुर की संपत्ति पर विवाद होगा और बड़ी संख्या में केस हो जाएंगे। उन्होंने इस तरह की समस्याओं के लिए अलग सेल बनाने की जरूरत बताई।
अंकिता मामले की सीबीआई जांच कराओ
विधायक प्रीतम सिंह ने कहा कि यदि सरकार वास्तव में बेटियों और महिलाओं की हितैषी है तो यूसीसी में किए जा रहे प्रावधानों से पहले अंकिता भंडारी मामले की सीबीआई जांच कराए। अंकिता के मां, पिता इस मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं। लेकिन सरकार ऐसा नहीं कर रही। जिससे अंकिता को न्याय नहीं मिल पा रहा।
उत्तराखंड में लिव इन रिलेशनशिप पर लगे रोक
कांग्रेस विधायकों ने यूसीसी के तहत उत्तराखंड में लिव इन रिलेशनशिप को प्रतिबंधित करने की मांग उठाई। विधायकों ने कहा कि इसे मान्यता मिलने से अन्य राज्यों के युवा राज्य में लिव इन रिलेशन में रहने आएंगे और देवभूमि की छवि खराब होगी। बुधवार को सदन में यूसीसी पर चर्चा के दौरान कांग्रेस विधायक भुवन कापड़ी ने कहा कि लिव इन रिलेशनशिप को राज्य में प्रतिबंधित करने की जरूरत है। यूसीसी के तहत सरकार लिव इन को रेगुलाइज करने जा रही है। इससे ऐसे लोगों को कानूनी मान्यता मिल जाएगी और देश के अन्य राज्यों से भी युवा यहां रहने आ सकते हैं। उन्होंने कहा कि आज राज्य की छवि देवभूमि, धार्मिक, आध्यात्मिक क्षेत्र और शिक्षा के हब के रूप में है। लेकिन यूसीसी के तहत लिव इन को मान्यता मिलने से राज्य की छवि खराब हो जाएगी।
कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह ने कहा कि यूसीसी विधेयक में प्रावधान किया गया है कि यदि राज्य का कोई नागरिक दूसरे प्रदेशों में लिव इन रिलेशन में रहता है तो उसे भी राज्य में पंजीकरण कराना होगा। उन्होंने पूछा कि आखिर कैसे उत्तराखंड सरकार दूसरे प्रदेश में रहने वाले व्यक्ति पर अपना कानून लागू कर सकती है। देश का संविधान भी इसकी इजाजत नहीं देता है।
पंजीकरण से भंग होगी गोपनीयता
विधायकों ने कहा कि लिव इन रिलेशन में पंजीकरण की व्यवस्था से युवाओं की गोपनीयता और आजादी के अधिकार की अवहेलना होगी। उन्होंने कहा कि लिव इन रिलेशन के आरटीआई के दायरे में आने से ऐसे लोगों की गोपनीयता भंग होगी और सामाजिक तौर पर उन लोगों के लिए जीवन बहुत कठिन हो जाएगा। नाम सार्वजनिक होने के बाद यदि कोई महिला लिव इन से अलग होती है तो फिर उसकी शादी में मुश्किलें खड़ी हो जाएंगी।
यूसीसी को कांग्रेस सर्वसम्मति से पारित कराने को तैयार
कांग्रेस विधायकों ने कहा कि यूसीसी को वह सर्वसम्मति से पारित कराने को तैयार है। उन्होंने कहा कि सरकार विधेयक को पहले प्रवर समिति को सौंपें और व्यापक चर्चा के आधार पर इसकी सभी खामियों को दूर किया जाए। यूसीसी पर सदन में चर्चा के दौरान कांग्रेस विधायकों ने कहा कि राज्य का यूसीसी संविधान की भावना के अनुरूप नहीं है। ऐसे में इसमें व्यापक बदलाव और सुधार की जरूरत है। विधायक प्रीतम सिंह ने कहा कि यूसीसी को लेकर कांग्रेस को कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन सरकार संविधान में दिए गए अधिकारों से बाहर जाकर जल्दबाजी में इस कानून को लागू लाना चाहती है। इस विधेयक को प्रवर समिति को सौंपकर एक एक पहलू पर चर्चा होनी चाहिए। विधायक हरीश धामी, तिलक राज बेहड़, विरेंद्र जाती, विक्रम सिंह नेगी आदि विधायकों ने कहा कि इस विधेयक को पहले प्रवर समिति को सौंपा जाए।