बंद लिफाफे से निकले अधिवक्ता राजेश सूरी के पत्र से नए राज खुल सकते हैं। इस पर सूरी के ही हस्ताक्षर हैं। फोरेंसिक जांच में इसकी पुष्टि हो चुकी है। इसकी जानकारी एसआईटी के जांच अधिकारी ने न्यायालय को प्रगति रिपोर्ट के रूप में दी है। बताया जा रहा है कि इस पत्र में कई बड़े घोटालों में बड़े-बड़े ओहदेदारों के नाम भी लिखे हैं। जांच आगे बढ़ी तो सूबे में दशकों से सुस्त पड़ी इन घोटालों की जांच में कई लोग बेनकाब हो सकते हैं।
अधिवक्ता राजेश सूरी ने सूचना का अधिकार के माध्यम से प्रदेश के कई बड़े घोटालों का राजफाश किया था। वह अक्सर इनकी सुनवाई के लिए नैनीताल हाईकोर्ट भी जाते रहते थे। 24 नवंबर 2014 को भी वह नैनीताल गए थे। वहां चार दिन ठहरने के बाद वह 28 नवंबर को लौटने लगे। रास्ते में ट्रेन में बैठे-बैठे उनका स्वास्थ्य अचानक खराब हो गया। देहरादून पहुंचे तो अचेत अवस्था में थे। उन्हें अस्पताल पहुंचाया गया।
लेकिन, दो दिन इलाज के बाद भी डॉक्टर उन्हें बचा नहीं सके। 30 नवंबर 2014 को उन्होंने दम तोड़ दिया। बहन रीता सूरी ने शहर कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया। अधिवक्ता रविकांत किरियाना, सुधीर जैन, आनंद प्रकाश जैन, दिव्या जैन आदि को आरोपी बनाया गया।इस मामले की जांच एसआईटी बनाकर कराई गई। पता चला कि राजेश सूरी ने अपनी मौत से करीब 12 साल पहले एक जुलाई 2002 को एक बंद लिफाफा एडीएम वित्त के ऑफिस में छोड़ा था। दावा था कि इस लिफाफे के अंदर रखे पत्र में उन्होंने जज क्वार्टर घोटाला, दौलत राम ट्रस्ट घोटाले के संबंध में कई तथ्य लिखे हैं। इसमें कई सफेदपोशों के नाम भी शामिल हैं। रीता सूरी ने इस लिफाफे को खुलवाने के लिए भी करीब आठ साल तक लड़ाई लड़ी।