आज क्लेमेंटटाउन रेजिडेंट वेलफेयर सोसायटी के सदस्यों का एक दल सुबह 6 बजे नई बस्ती आसरोड़ी,रामगढ़ होते हुए सुसवा नदी में पहुँचा वहां से कई किलोमीटर सुसवा नदी में पैदल चलकर देखा कि जो नदी कभी देहरादून के प्रसिद्ध सुसवा साग के लिये प्रसिद्ध थी आज देहरादून शहर के कूड़े का ढेर बन गयी है।क्लेमेंटटाउन रेसिडेंट्स वेलफेयर सोसायटी के सचिव महेश पाण्डे ने कहा कि सुसवा नदी आज भयंकर प्रदूषण की वजह से मरणासन स्थिति में है देहरादून महानगर से जो भी नाले,नालियां,बरसाती नाले रिस्पना और बिंदाल नदी में मिलते हैं उनमें शहरवासियों द्वारा हर समय प्लास्टिक,कूडा खुलेआम फेंका जा रहा है, ये ही दो नदियां मोथरोवाला में मिलकर आगे चलकर सुसवा नदी बन जाती है ।
जिससे सुसवा नदी 90 प्रतिशत प्रदूषित हो गई है और अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है।ये हाल तब है जब नगर निगम द्वारा हर रोज सभी क्षेत्रों से हजारों टन कूड़ा रोज घर घर से इकट्ठा किया जाता है,नदी को समाप्त करने के लिए जिम्मेदार शायद ये वो लोग हैं जो नगर निगम और कैंटबोर्ड को कूड़ा उठाने का टैक्स नही देते और सुबह सुबह और देर रात को नदी नालों में कूड़े के बैग फैंक देते हैं।और अपने आने वाले कल को संकट में डाल रहे हैं। हम सभी को सुसवा में कूड़ा करकट ना पहुँचे इसके लिये जागरूकता अभियान चलाकर ठोस प्रयास करने होंगे। सुसवा नदी के निरीक्षण दल में क्लेमेंटटाउन रेसिडेंट्स वेलफेयर सोसायटी के सचिव महेश पाण्डे,कैप्टन आर पी भट्ट, पुष्कर सामंत,हर्ष कुमार भट्ट,डॉ राजेश मोहन,राजबीर सिंह नेगी,ओमकार राय,दिनेश,लक्ष्मण सिंह रावत थे।