आज सैटलाइट युग में कंप्यूटर और मोबाइल पर उपलब्ध ऑनलाइन साइट्स ऑनलाइन गेम्स , इंस्ट्रा, फेस बुक व अन्य सोशल साइट्स ने हमारे बच्चों का बचपन छीन लिया है , बच्चे व युवा पीढ़ी व्यक्तित्व के विकास के लिए आवश्यक उन सारी गतिविधियों से दूर हो कर कंप्यूटर और मोबाइल के स्क्रीन तक सीमित हो गए हैं और जो जीवन में सर्वांगीण विकास के लिए जरूरी हैं खेल कूद , रंग मंच, सांस्कृतिक व मेल जोल की गतिविधियां उनसे दूर हो गए हैं ऐसे में निवेदिता बौठियाल का बच्चों का नाटक अजब गजब पाठशाला का सफल मंचन एक बेहतरीन प्रयास है बच्चों को उनके बचपन को जीने का अवसर देने का।
यह बात आज देहरादून के आई आर डी टी सभागार सर्वे चौक पर भारतेंदु हरिश्चंद्र लिखित नाटक अंधेर नगरी के निवेदिता द्वारा रूपांतरित व निर्देशित नाटक अजब गजब पाठशाला के मंचन का दीप प्रज्वलित कर शुभारंभ करते हुए दर्शकों को संबोधित करते हुए उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने बतौर मुख्य अतिथि कही। उन्होंने कहा कि आज के युग में मोबाइल फोन ने एक काल्पनिक दुनिया सोशल समुदाय खड़ा कर दिया जिसने समाज के वास्तविक रिश्तों को इतनी बुरी तरह प्रभावित किया है कि एक ही कमरे में बैठे माता पिता व बच्चे एक दूसरे से बात चीत करने के बजाय अपने अपने मोबाइल में व्यस्त रहते हैं उन लोगों के साथ जिनको वो जानते तक नहीं ऐसे में बच्चों को एक कलाकार के रूप में तैयार कर उनको रंग मंच पर लाना और उनके द्वारा बेहतरीन कला का प्रदर्शन करना अपने आप में सराहनीय कार्य है जिसे अजब गजब पाठशाला की लेखिका व निर्देशिका निवेदिता ने किया है।
धस्माना ने कहा कि आज देश में जिस तरह की राजनीति का चलन चल पड़ा है इस पर यह नाटक एक कड़ा प्रहार है, देश के नेता जनता को छोटे छोटे प्रलोभन और लालच दे कर सत्ता पर काबिज हो जाते हैं और देश के वास्तविक मुद्दों के समाधान के लिए कुछ नहीं करते जिससे देश व समाज का नुकसान होता है । उन्होंने कहा कि समाज व नागरिकों में मुफ्त की रेवड़ियों के वास्तविक नुकसान के बारे में जागरूकता फैलाने वाला संदेश अजब गजब पाठशाला ने दिया है जिसके लिए आयोजन से जुड़ी पूरी टीम और सभी कलाकार बधाई के पात्र है। लगभग डेढ़ घंटे के नाटक ने दर्शकों को ऐसा बांधा कि पता ही नहीं चला कि नाटक अपने चरमोत्कर्ष पर पहुंच गया। नाटक की लेखिका व निर्देशक निवेदिता ने भारतेंदु हरिश्चंद्र द्वारा लिखित नाटक अंधेर नगरी को आज के परिपेक्ष में रूपांतरित करते हुए बच्चों की पाठशाला में बहुत ही बेहतरीन तरीके से पाठशाला में गुरु व विद्यार्थियों के बीच संवाद के माध्यम से यह स्थापित किया कि लालच बुरी बला है और देश का वह राजा कभी जनता का भला व जनता के साथ न्याय नहीं कर सकता जो अपनी झूठी शान और सत्ता के लिए लोगों को प्रलोभन दे। नाटक में राजा की भूमिका में विकास रावत ने बेहतरीन अभिनय किया इसके अलावा अन्य कलाकारों में नवनीत गैरोला,सुषमा बड़थ्वाल,धनंजय कुकरेती,अमित बहुखंडी,आरव मल्होत्रा,कुणाल पंवार,आर्यन बड़थ्वाल,शिवांश जोशी,उदयवीर गेरा,आयुष,जगमीत,प्रत्युष,शुभम,रुचि,शिवानी,राहुल, ऋषभ, कर्मण्य, वैष्णवी,शिवांश,विधि, देवांश,सानिध्य,रिया, अदिति,नूतन ने भी जानदार अभिनय किया। प्रकाश परिकल्पना टी के अग्रवाल, संगीत निर्देशन विकास रावत, गायन व नृत्य निर्देशन प्रिया उनियाल संगीत परिचालन हितेश राणा व मंच व्यवस्थापक अमित सेमवाल और निर्मला जखमोला रहे।