दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के तत्वाधान में रूम टू रीड तथा यूनाइटेड स्टेट एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलेपमेंट के सहयोग से आज “उत्तराखंड में बाल साहित्य: एक परिप्रेक्ष्य” विषय पर एक वृहद संगोष्ठी कि गयी. इस गोष्ठी में प्रदेश में बाल साहित्य की दशा और दिशा पर अनेक वक्ताओं ने गहन विमर्श कर इस दिशा में कार्य करने की जरूरत बतायी । गोष्ठी में रूम टू रीड की राज्य प्रमुख पुष्पलता रावत ने बताया कि सार्वजनिक पुस्तकालयों में बच्चों की जगह आज भी बहुत सीमित है। भारतीय भाषाओं में रचे गए बाल साहित्य के अलावा विश्व साहित्य से नई पीढ़ी को परिचित कराने के लिए आवश्यक है कि पुस्तकालयों में बाल साहित्य को पर्याप्त जगह मिले। संगोष्ठी में शिक्षाविद डॉ सविता मोहन ने कहा कि नई पीढ़ी के निर्माण में बाल साहित्य की महत्वपूर्ण भूमिका है। विदेशों में बाल साहित्य से बच्चों को शुरुआती दौर में ही परिचित कराने की चेष्टा की जाती है ताकि बच्चे भविष्य के सृजनशील नागरिक बन सकें। नई शिक्षा नीति में भी बच्चों में रचनात्मकता को विकसित करने के लिए स्थानीय साहित्य पर विशेष जोर दिया गया है।
साहित्यकार डॉ नंदकिशोर हटवाल ने उत्तराखंड में गढ़वाली, कुमाऊनी और जौनसारी के लोकगीतों तथा लोककथाओं में दर्ज बाल साहित्य को उद्धृत करते हुए कहा कि इन प्रसंगों को हमारे स्कूली पाठ्यक्रम में भी शामिल होना चाहिए। हिमालय मनोरंजक आख्यानों से भरा है। ऐसे में यहां से मौलिक रचनाएं साहित्य संसार को मिल सकती हैं।ऑल इंडिया रेडियो के अनिल भारती ने अपने संबोधन में दृश्य और श्रव्य माध्यम से बाल साहित्य को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आकाशवाणी ने साहित्यिक अभिरुचि के युवाओं को अपेक्षित मंच प्रदान किया है। रेडियो में स्टोरी टेलिंग एक नई विधा के रूप में स्थापित हुआ है।
प्रकाशक प्रवीण भट्ट ने कहा कि बच्चों के लिए चित्रात्मक पुस्तक प्रकाशित करना आज भी चुनौती बना हुआ है। अभिभावकों द्वारा बच्चों को साहित्यिक पुस्तक देने की परंपरा हिंदी पट्टी में तेजी से सिमट रही है। ऐसे में बच्चों के लिए आकर्षक और रंगीन पुस्तकें छापना प्रकाशक के लिए आर्थिक नुकसान का सबब बनता है। दून पुस्तकालय के जय भगवान गोयल ने कहा कि पुस्तकालय में बच्चों के लिए विशेष स्थान सुरक्षित करने की पीछे धारणा यही है कि उत्तराखंड में बच्चों के लिए पठन-पाठन की दिशा में एक नई शुरुआत हो सके।
रूम टू रीड दिल्ली से आई वंशिका ने कहा कि उनकी संस्था ने पिछले साल से बाल साहित्य के लिए राष्ट्रीय पुरस्कारों की शुरुआत की है लेकिन यह आश्चर्यजनक तथ्य है कि विगत वर्ष उत्तराखंड से इस पुरस्कार के लिए एक भी प्रविष्टि नहीं आई। उन्होंने आशा व्यक्त की कि भविष्य में उत्तराखंड में बाल साहित्य सृजन की दिशा में अच्छी प्रगति होगी और देशभर के नौनिहाल यहां से निकली कविताओं और कहानियों का रसास्वादन कर पाएंगे। इस कार्यक्रम का संचालन साहित्यकार मुकेश नौटियाल ने किया।
उल्लेखनीय है कि दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र में बाल पुस्तकालय और वाचनालय की आज 2 अगस्त, 2024 से सामान्य शुरुआत हो गयी है यह बाल पुस्तकालय शुक्रवार और शनिवार को प्रातः 10:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक खुला रहेगा. बाल पुस्तकालय को खोलने का प्रमुख उद्देश्य पुस्तकालय के संग्रह को विविध प्रकार की बाल साहित्य की पुस्तकों से समृद्ध करना, बाल पाठकों को विविध रचनात्मक गतिविधियों के माध्यम से प्रेरित,शिक्षित करने के साथ ही उनका ज्ञानवर्धन व स्वस्थ मनोरंजन प्रदान करना भी है.
बाल पुस्तकालय व वाचनालय के लिए दून पुस्तकालय कि और से ‘पुस्तक भेंट अभियान’ की मेजबानी भी की जा रही है. इसके तहत विभिन्न आयु वर्ग के बच्चों के लिए उपयुक्त, नई अथवा आसानी से उपयोग की जाने वाली पुस्तकों के संदर्भ में ‘पुस्तक भेंट अभियान’ में योगदान देने के लिए लोगों को सादर आमंत्रित किया जा रहा है। इसी क्रम में आज रूम टू रीड ने बाल पुस्तकालय के लिए बाल साहित्य की 200 पुस्तकें दून पुस्तकालय को भेंट की हैं. महत्वपूर्ण बात यह है कि व्यक्तिगत व संस्थागत स्तर पर इस दिशा में पुस्तकालय को सहयोग मिल रहा है .
आज के कार्यक्रम में डॉ.रवि चोपड़ा, चन्द्रशेखर तिवारी, शूरवीर सिंह रावत, कल्पना बहुगुणा,सत्यानन्द बडोनी, विजय भट्ट, सुंदर बिष्ट,इंद्रेश नौटियाल, हर्षमणि भट्ट, बीना बेंजवाल, राकेश जुगरान, रमेश कुड़ियाल, रमाकांत बेंजवाल, कर्नल एस एस रौतेला, शशिभूषण बडोनी, प्रेम साहिल व सुरेंद्र दत्त सेमल्टी सहित कई साहित्यकार, लेखक,बुद्धिजीवी रंगकर्मी सहित शहर के प्रबुद्ध लोग व पाठक उपस्थित रहे।