नोटबन्दी बनाम मूखर्तापूर्ण फैसले के 8 वर्षः-लालचन्द शर्मा

देहरादून महानगर कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष लालचन्द शर्मा ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि आज से ठीक 8 वर्ष पूर्व हमारे यशश्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मूर्खतापूर्ण फैसला लेते हुए देश की जनता के नाम एक जरुरी सन्देश जारी करते हुए घोषणा की थी कि आज रात 12 बजे से 500 और 1000 के नोटो की करंसी समाप्त मानी जायेगी। नरेन्द्र मोदी के इस मूर्खतापूर्ण फैसले से पूरे देश मे हलचल मच गई, आम लोगों में घबराहट हो गई, जो कि लाज़मी भी थी।
लालचन्द शर्मा ने कहा कि देश की इतनी बड़ी अर्थव्यवस्था में अचानक हुई नोटबन्दी का कारण बताया गया कि नकली नोटों का परिचालन रुक जाएगा, आतंकवाद की फंडिंग पर लगाम लगेगी और काला धन खत्म हो जाएगा। बैंकों से 500 व 1000 के नोट बदलने के लिए 60 दिन की अल्प समय सीमा भी निर्धारित कर दी गई जिसके कारण देश का आम आदमी अपने सारे काम धंधे छोड़ कर बैंकों की लाइन में खड़ा हो गया। कई गरीब लोगों को इस अफरातफरी में अपनी जान से भी हाथा धोने पड़े परन्तु आज 8 साल बाद वहीं आम आदमी अपने को ठगा सा महसूस कर रहा है।

पूर्व महानगर अध्यक्ष ने कहा कि देश की आम जनता सोचने को मजबूर है कि अचानक हुई इस नोटबन्दी से देश को क्या मिला.? क्या काला धन वापस आया? क्या आतंकवाद की कमर टूटी, नकली नोटों का प्रचलन समाप्त हुआ? नहीं तो फिर नोट बंदी का लाभ किसको हुआ? मोदी सरकार द्वारा नोटबन्दी को लेकर जो दावे किये गए थे वो सभी खोखले साबित हुए।

लालचन्द शर्मा ने कहा कि आज डालर के मुकाबले रूपये की कीमत दिन प्रति दिन गिरती जा रही है तथा रूपये अपने निचले स्तर पर पहुंच गया है। परन्तु देश के यशस्वी प्रधानमंत्री आज भी विश्वगुरू होने का ढोल पीट रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगस्त 2018 को भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक नोटबन्दी के वक्त लगभग 15,417.93 अरब रुपये की कीमत के 500 व 1000 के नोट परिचलन में थे जबकि लगभग 15,310.73 अरब रुपये की कीमत के 500 व 1000 के नोट वापस बैंको में जमा हो चुके हैं। यानि कि 500 व 1000 के लगभग 99.3 प्रतिशत नोट वापस बैंको में जमा हो चुके हैं तथा मात्र 0.7: नोट ऐसे रहे जो जमा नहीं हो पाए। फिर जिस काले धन का ढोल पीटा जा रहा था वह कहां गया? उल्टे 2016 से 2017 की बीच भारतीय रिजर्व बैंक ने 500 व 2000 के नए नोटो की छपाई करने में लगभग 7965 करोड़ खर्च कर दिए जो आम जनता की जेब से गये।

लालचन्द शर्मा ने यह भी कहा कि आज देश की सीमाओं पर रक्षा करते हुए पहले से ज्यादा सैनिक शहीद होने की गिनती ही नहीं बढ़ी बल्कि पुलवामा जैसे हमले और जम्मू कश्मीर में हो रहे आम नागरिकों पर हमले अब खुल्ले आम हो रहे हैं। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि नोटबन्दी बिना सोचे समझे लिया गया एक निरर्थक व मूर्खतापूर्ण फैसला था, जो सिर्फ मोदी जी ही कर सकते थे क्योंकि मोदी है तो मुमकिन है।

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