राज्य भर में आवाज़ उठाई गई: नफरत फैला कर नाकामी को छुपाना नहीं चैलगा

आज उत्तराखंड भर में विपक्षी दलों एवं विभिन्न जन संगठनों के प्रतिनिधियों जगह जगह में एकत्रित हो कर आवाज़ उठाई कि सत्ताधारी दल महिलाओं पर अत्याचार करने वाले अपराधियों को संरक्षण दे कर, समुदाय विशेष को दोषी ठहरा कर चमोली और अन्य जगहों में नफरती हिंसा द्वारा जनता का ध्यान अपना नाकामी से हटाना चाह रही है।  बेहद शर्मनाक बात है कि राज्य में लगातार महिलाओं पर अत्याचार की घटनाएं सामने आ रही है और ऐसे दो घटनाओं में सत्ताधारी दल के नेता भी आरोपित हैं।   पीड़ित लोगों की और से आरोप यह भी हैं कि प्रशासन उनको संरक्षण दे रहा है। लेकिन इस मुद्दे पर कार्यवाही करने के बजाय सत्ताधारी दल के नेता और उनके करीब संगठन लगातार हिंसा और नफरती अपराधों को बढ़ावा दे रहे हैं।  ज्ञापन सौंपवा कर प्रदर्शनकारियों ने मांग उठाया कि महिलाओं पर हो रहे अपराध एवं नफरती अपराध, दोनों पर सख्त कार्यवाही कराने के लिए वन स्टॉप सेंटर, उच्चतम न्यायलय के 2018 के फैसले और अन्य ज़रूरी प्रशासनिक व्यवस्थाओं को सरकार स्थापित करे। उल्टा अभी उनको ख़तम किया जा रहा है।  नए भारतीय न्याय संहिता के प्रावधानों ख़ास तौर पर धारा 197(1)(ख) पर भी कोई अमल नहीं हो रहा है, जबकि सत्ताधारी दल नए आपराधिक संहिताओं पर गर्व रखने की बात कहती है।

ज्ञापन सौंपवाने का कार्यक्रम देहरादून, चमियाला, सल्ट, उधम सिंह नगर, पौड़ी, गरुड़, कपकोट, उखीमठ, थन डंगोली, देघाट, दन्या, पिथौरागढ़ और अन्य जगहों में आज हुआ है। इन कार्यक्रमों में सीपीआई, सी.पी.एम., सीपीआई (मा – ले), समाजवादी पार्टी, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी, और आम आदमी पार्टी के प्रतिनिधियों के साथ सद्भावना समिति उत्तराखंड, समाजवादी लोक मंच, चेतना आंदोलन, रचनात्मक महिला मंच, महिला किसान अधिकार मंच, वन पंचायत संघर्ष मोर्चा, CITU, AITUC, अखिल भारतीय किसान सभा, जन मंच पिथौरागढ़ और अनेक अन्य संगठनों के प्रतिनिधि शामिल रहे।

देहरादून में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय कौंसिल सदस्य समर भंडारी; भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मा – ले) के राज्य सचिव इंद्रेश मैखुरी; भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के राज्य कौंसिल सदस्य सुरेंद्र सिंह सजवाण; समाजवादी पार्टी के महानगर अध्यक्ष अतुल शर्मा और वरिष्ठ नेता हेमा बोरा; आम आदमी पार्टी की वरिष्ठ नेता उमा सिसोदिया; उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के CP शर्मा; चेतना आंदोलन के शंकर गोपाल; CITU के जिला अध्यक्ष लेखराज; AITUC के राज्य सचिव अशोक शर्मा; और स्वतंत्र पत्रकार स्वाति नेगी सृष्ट मंडल में शामिल रहे। ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट को सौंपवाया गया।

 

विषय: सरकार अपराधियों को संरक्षण देने के बजाय निष्पक्ष रूप में महिलाओं और लोगों की सुरक्षा के लिए कदम उठाने के संबंध में

महोदय,

बीते कुछ सप्ताहों में उत्तराखंड राज्य में लगातार महिलाओं पर अत्याचार हो रहा है और साथ साथ में अल्पसंख्यक लोगों पर हमले और अत्याचार भी बढ़ रहे हैं।  यह बेहद निंदनीय एवं शर्मनाक बात है कि सल्ट और लालकुआं में सत्ताधारी दल के नेताओं द्वारा किये गए कथित बलात्कार एवं छेड़छाड़ की घटनाएं सामने आई हैं और पीड़ित लोगों की और से गंभीर आरोप भी हैं कि प्रशासन अपराधियों को संरक्षण दे रहा है।   महिलाओं की सुरक्षा पर असली कदम उठाने के बजाय सत्ताधारी दल से संबंधित चंद लोगों ने कथित छेड़छाड़ की घटनाओं के बहाने कीर्तिनगर, चमोली, गोपेश्वर और अन्य जगहों में बेकसूर लोगों के खिलाफ धर्म के नाम पर आपराधिक हिंसक अभियान शुरू किया है। इसके अतिरिक्त वन गुजर समुदाय पर लगातार धर्म के नाम पर दुष्प्रचार चल रहा है।

कुल मिला कर ऐसे लग रहा है कि सरकार और सत्ताधारी दल अपराधियों पर कार्यवाही करने के बजाय धर्म के नाम पर एक पूरे समुदाय को दोषी बनाना चाह रही है।  इस सन्दर्भ में हम आपको कुछ बातें याद दिलाना चाह रहे हैं:

• किसी भी महिला पर किसी भी प्रकार की यौन हिंसा होना अपराध है और ज़िम्मेदार लोगों पर निष्पक्ष और तीव्र क़ानूनी कार्यवाही करना सरकार का फ़र्ज़ है।  अगर कोई भी व्यक्ति सत्ताधारी दल से संबंधित है निष्पक्ष जांच के लिए कोर्ट की निगरानी भी ज़रूरी है।
• किसी भी नफरती हिंसा और प्रचार पर तुरंत कार्यवाही करना भी सरकार का फ़र्ज़ है। भारतीय जनता पार्टी तीन नए आपराधिक संहिताओं को लाने पर गर्व रखने की बात करती है लेकिन सरकार भारत न्याय संहिता के धारा 197(1)(ख) पर अमल ही नहीं कर रही है।  उस धारा में स्पष्ट रूप से घोषित किया गया है कि धर्म, जात इत्यादि के नाम पर किसी को अपने अधिकार से वंचित करना या उसको वंचित करने के लिए प्रचार करना गंभीर अपराध है।  इसके तहत चमोली, गोपेश्वर, कीर्तिनगर इत्यादि में हो रहे प्रचार और वन गूजरों के खिलाफ हो रहा दुष्प्रचार गंभीर अपराध हैं।
• सरकार महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाये गए वन स्टॉप सेंटर को बंद कर दिया है। भीड़ की हिंसा पर 2018 के उच्चतम न्यायलय के फैसलों पर अमल ही नहीं हुआ है। 2023 में पुरोला से जो शर्मनाक एवं आपराधिक अभियान शुरू हुआ था, उसपर आज तक कोई भी कानूनी कार्यवही नहीं हुई है जबकि कोर्ट के फैसला द्वारा स्पष्ट हो गया कि पूरा अभियान फ़र्ज़ी केस पर आधारित था।
• इन सब घटनाओं के अलावा ऋषिकेश में पत्रकार योगेश डिमरी पर शराब माफिया का जानलेवा हमला इस बात को भी साबित करता है कि राज्य में लगभग माफिया राज ही चल रहा है।
• इस बीच यह खबर भी सामने आई है कि उत्तराखंड पुलिस के कुछ कर्मचारी खुद ही सांप्रदायिक एवं अश्लील टिपण्णी अपने अंदरूनी ग्रुप में कर रहे थे।  ऐसे माहौल में राज्य में कानून का राज कैसे कायम रहेगा?

उत्तराखंड की संस्कृति हमेशा शांतिपूर्ण एवं लोकतान्त्रिक रही है।  यह वही धरती है जहाँ पर वीर चंद्र सिंह गढ़वाली, श्री देव सुमन, जयानंद भारती, एवं अनेक ऐसे इंसानियत एवं लोकतंत्र के लिए लड़ने वाले नायक पैदे हुए हैं। अतः आपसे उम्मीद और निवेदन है कि सरकार अपराधियों को संरक्षण देने के बजाय तुरंत उन पर सख्त कार्यवाही करे।

निवेदक

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